Editorial: महाकुंभ में अनहोनी को होने से रोक सकती थी सरकार!
- By Habib --
- Thursday, 30 Jan, 2025
The government could have prevented any untoward incident from happening during Maha Kumbh!
The government could have prevented any untoward incident from happening during Maha Kumbh!: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर भीड़ के अनियंत्रित होने से हुए हादसे में 30 श्रद्धालुओं की मौत बेहद दुखद है। महाकुंभ में कुछ दिन पहले ही आग लगने से टेंट जल गए थे, जिससे सम्पत्ति का नुकसान हुआ था, उस समय जनहानि नहीं होने पर राहत की सांस ली गई थी, हालांकि जैसे अनहोनी एक और दिन का इंतजार कर रही थी और मौनी अमावस्या पर जब देशभर से श्रद्धालुओं की भीड़ संगम तट पर पुण्य स्नान के लिए पहुंची तो यह भयंकर हादसा घट गया। जाहिर है, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस बार महाकुंभ को अद्वितीय आयोजन किया है और पहली बार इतने बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई हैं।
हालांकि सरकार और प्रबंधन कर्ताओं की ओर से भीड़ की संख्या का अंदाजा ही लगाया गया है, वास्तविक आंकड़े तो किसी के पास नहीं होंगे। इस हादसे के बाद सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। निश्चित रूप से सरकार ने जिन अधिकारियों की नियुक्ति मेले में लगाई है, यह उनकी लापरवाही की वजह से हुआ है, या फिर किसी की शरारत रही है, यह सब जांच का विषय है। हालांकि महाकुंभ में हुए इस हादसे ने पूरे देश की जनता को झकझोर दिया।
इस बार आयोजन के बेहतरीन दावे और 144 साल बाद दुर्लभ अवसर होने की चर्चा की वजह से भी इस बार के महाकुंभ में जनता की रुचि बढ़ी है। हिंदू समाज और संस्कृति में नदी स्नान, दान और पूजा-पाठ का बेहद महत्व है, कुंभ का मेला ऐसा अवसर प्रदान करता है, जब यात्रा के साथ पूजा-पाठ और स्नान कार्य सभी एक साथ संपन्न किए जा सकते हैं। यही वजह है कि इस बार के महाकुंभ में भीड़ सभी संभावनाओं से कहीं ज्यादा होकर पहुंच रही है। मौनी अमावस्या पर तो हालात ऐसे रहे हैं कि प्रयागराज के आसपास की सडक़ें कई किलोमीटर लंबे जाम की वजह से ठप हो गई।
मेला ग्राउंड के आसपास के हालात भी उस समय बेकाबू हो गए थे, जब यहां मौनी अमावस्या पर लोग स्नान के लिए पहुंच रहे थे। यह पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के लिए चुनौतीपूर्ण है कि भीड़ को नियंत्रित किया जाए। हालांकि भगदड़ मचने की घटना के संबंध में कहा जा रहा है कि बैरिकेड पर भीड़ को रोकने के इंतजाम पर्याप्त नहीं थे और यहां भीड़ का रैला खुद को रोक नहीं पाया और इस दौरान कोई गिरा तो फिर वह उठ नहीं सका। गौरतलब है कि हादसे के बाद वहां के हालात बेहद मार्मिक थे और हर तरफ लोग जिनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी, बिखरे पड़े थे। इनमेंं काफी शव थे वहीं घायल भी थे। सामान बिखरा था और हर तरफ कोहराम मचा हुआ था, जब तक पुलिस ने बचाव कार्य शुरू किया, तब तक काफी देर हो चुकी थी।
महाकुंभ पर मेले के आयोजन को सफल बनाने के लिए योगी सरकार ने पूरा जोर लगाया है। देश और दुनिया में इस बार मेले की व्यापक चर्चा है। मेले की व्यवस्था को लेकर बहुत पहले से तैयारियां शुरू कर दी गई थी। हालांकि इसके बावजूद सरकार का प्रशासन भीड़ की संख्या के हिसाब से सचेत नहीं रह सका। माना जाता है कि अधिकारी सिर्फ निर्देश देने के लिए रह जाते हैं और यहां भी यही हुआ लगता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं एक धार्मिक व्यक्ति हैं और मेले में जब हादसे की वजह से श्रद्धालुओं की जान गई तो उनकी आंखें भर आईं। जाहिर है, किसी भी संवेदनशील व्यक्ति के लिए यह बेहद दुखदायी ही होगा, और अगर वह प्रदेश का मुख्यमंत्री है तो उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे आयोजन को बगैर किसी हादसे के सम्पन्न कराएं। योगी आदित्यनाथ ने जहां जांच आयोग को एक माह में अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिए हैं वहीं घटना की पुलिस जांच भी होगी। इसके अलावा जान गंवाने वालों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा भी राज्य सरकार ने की है।
वास्तव में यह हादसा एक सबक भी है, क्योंकि देश में बहुत बार ऐसी घटनाएं घट रही हैं, जब भगदड़ की वजह से मौतें हो रही हैं। इन घटनाओं के बावजूद महाकुंभ जैसे दिव्य और महा आयोजन में ऐसी चूक को रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए जाते। क्या यह माना जाए कि यूपी सरकार को इसका अंदाजा ही नहीं था कि भीड़ इतनी ज्यादा आ जाएगी। संभव है, जो इंतजाम थे वे एक नियंत्रित भीड़ के लिए थे, लेकिन मौनी अमावस्या जैसे विशेष अवसर पर लोगों की आने वाले संख्या का अंदाजा नहीं लगाया गया। इसके बाद ऐसे हादसे की आशंका को कैसे रोका जा सकता था। जांच आयोग की रिपोर्ट का सभी को इंतजार रहेगा, देखना होगा कि इसमें किसी अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाता है या नहीं। हालांकि सरकारों को भीड़ को कंट्रोल करने पर भी अब ध्यान देना होगा।
ये भी पढ़ें ...
Editorial: खनौरी बॉर्डर पर किसानों की एकता का नया दौर शुरू
Editorial: श्रीनगर-दिल्ली के बीच की दूरियां अब गुजरे जमाने की बात
Editorial:बांग्लादेश की ओर से सीमा पर तनावपूर्ण हालात आखिर क्यों